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खानापूर्ति के लिए की गई कार्यवाही : जनप्रतिनिधियों ने साधा मौन : उठ रहे सवाल ?

अस्पताल के बाथरूम में हुई डिलीवरी की घटना पर पर्दा डालकर लापरवाही करने वालों को बचाने हो रहा प्रयास 

चौरई : नगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 11 सितंबर की मध्य रात्रि में मंदारिया ग्राम की एक महिला को अस्पताल में डिलीवरी के लिए भर्ती कराया गया था लेकिन अस्पताल स्टाफ की लापरवाही के चलते महिला की डिलीवरी बाथरूम में हो गई जहां उसने एक बच्चे को जन्म दिया और जन्म के बाद बच्चे की मौत हो गई घटना प्रकाश में आने के बाद से लगातार मामले पर लीपापोती की जा रही है जांच टीम गठित की जा रही है लेकिन जांच पर सिर्फ खाना पूर्ति की जा रही है घटना के वक्त अस्पताल में दो नर्स एवं एक आया उपस्थिति रही थी वहीं ड्यूटी डॉक्टर का पहला दिन होने के चलते वह भी अस्पताल में उपस्थित थी लेकिन किसी प्रकार के मामले पर कोई जानकारी नहीं होने के चलते डॉक्टर के संज्ञान में मामला था ही नहीं ।

घटना पर परिजनों के द्वारा अनुविभागीय अधिकारी प्रभात मिश्रा को ज्ञापन सौंप कर जांच कर कार्रवाई की मांग की गई थी एवं मीडिया पर मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था तब से लेकर अब तक मामले पर सिर्फ खाना पूर्ति की जा रही है जांच बताई जा रही है लेकिन बीती रात्रि में जांच के नाम पर  टीम द्वारा कलेक्टर महोदय को दिए गए प्रतिवेदन अनुसार मामले में एक नर्स को निलंबित कर मामले पर कार्यवाही कर खाना पूर्ति की गई है जबकि अन्य लोग घटित घटना में हुई लापरवाही की कार्यवाही से वंचित है जिन पर कार्यवाही होनी चाहिए और उन्हें बचाया जा रहा है ।

घटना के 15 दिन हो गए लेकिन जनप्रतिनिधि ने नहीं उठाई आवाज न लिया संज्ञान

वैसे तो यूं कहे चौरई विधानसभा में हर एक व्यक्ति नेता है लेकिन यहां पर इतनी बड़ी घटना घटित होने के बाद भी किसी जनप्रतिनिधि ने मामले पर संज्ञान नहीं लिया और ना ही खुलकर पीड़ित के समर्थन में आए जबकि स्वास्थ्य सुविधा के लिए सरकार के द्वारा विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही है और जनप्रतिनिधियों के द्वारा विभिन्न कार्यक्रम में पहुंचकर संबोधन में उन योजनाओं का बखान भी किया जा रहा है लेकिन घटित घटना व स्वास्थ्य केंद्र की असुविधा पर किसी ने भी कोई आवाज नहीं उठाई है और ना ही पीड़िता से मिलकर कोई सांत्वना दी । जब ऐसी घटनाओं पर कोई भी जनप्रतिनिधि संज्ञान नहीं लगा तो मामले पर सुधार कैसे होगा क्या योजनाएं सिर्फ कागजों पर चलेगी या सिर्फ कार्यक्रमों में अपने उद्बोधन में या शब्दों में दिखेंगे उनका जमीनी तौर पर कोई जुड़ाव होगा या नहीं । यह बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है ?