Home Health बीएमओ नितिन ने क्लीनिक जांच में निभाई औपचारिकता

बीएमओ नितिन ने क्लीनिक जांच में निभाई औपचारिकता

बच्चों की मौत पर संवेदनशील नहीं है बीएमओ 

चौरई क्षेत्र में हुई सत्या की मौत को बता रहे सामान्य, चाइल्ड बर्थ डेथ का दे रहे हवाला

मीडिया के सवाल पूछने पर भड़क रहे बीएमओ

छिंदवाड़ा जिले में 22 बच्चों की मौत के बाद जहां पूरा देश सदमे में है और जिम्मेदार संवेदनशीलता रखते हुए अपने स्तर पर जांच कर कड़ी से कड़ी कार्यवाही के लिए प्रतिबद्ध प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर स्वास्थ्य मंत्री छिंदवाड़ा जिले का बार-बार दौरा कर परिजनों से मिलकर सांत्वना देते हुए अधिकारियों से घटनाक्रम की SIT गठित कर जांच पड़ताल कर रहे ताकि आगामी भविष्य में घटना ना घटे के लिए सख्त कदम उठा रहे घटना के प्रत्येक पहलुओं की जांच से जुड़े जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्राइवेट क्लीनिक एवं मेडिकल्स की भी जांच की जा रही है ताकि लोगों के स्वास्थ्य के साथ किसी भी प्रकार की अनहोनी ना हो पर चौरई के बीएमओ अस्थाई होने के चलते औपचारिकता निभा रहे है क्योंकि उन्हें पता है कि मैं एक निश्चित समय के लिए बीएमओ हु मुझे इन सब से क्या लेना देना ।

जिसका सीधा उदाहरण हाल ही में हुए प्रशासन के निर्देश पर निजी क्लिनो की जांच में उनकी औपचारिकता सामने आई या वह क्लिनिक  की जांच करने गए तो उससे पहले ही क्लीनिक संचालकों को उनके आने की जानकारी मिल गई तो कार्यवाही में पारदर्शिता कहां होगी इसको लेकर कई तरीके के प्रश्न खड़े हो रहे हैं वही कार्यवाही के दौरान उपस्थित अन्य कर्मचारी भी दबी जुबान से यह क्या कार्रवाई हुई यह तो महज औपचारिकता रही की बात कह रहे हैं ।

लेकिन स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा मामला होने के चलते बीएमओ नितिन बम्हने के नेतृत्व में ही कार्रवाई की जा रही है इसलिए कोई भी प्रदत अधिकारों का प्रयोग नहीं कर पा रहा है यह सब को पता है कि जिन क्लिनिको का संचालन हो रहा है उसमें मेडिकल के नाम लिखी कोरी पर्ची पर डॉक्टर अपने दवाई का प्रिस्क्रिप्शन दे रहे ना तो उसमें डॉक्टर्स कोई साइन कर रहे हैं ताकि उनके नाम की पर्ची स्पष्ट हो सके और जिसका सबसे बड़ा खामियाजा चौरई क्षेत्र में हुई बच्चे सत्या की मौत से देखने को मिला ।

सत्या को अलग-अलग क्लीनिक के डॉक्टरों द्वारा साधारण से बुखार के लिए दवाई दी गई लेकिन दवाई का डोज बढ़ जाने के कारण उसके मल्टीप्ल ऑर्गन फेल हो गए लेकिन इन सब की जिम्मेदारी उठाने के लिए जिम्मेदार प्रशासन पल्ला झाड़ रहा है । घटना को लेकर हर जगह जांच की जा रही है कार्रवाई की जा रही है लेकिन चौरई एकमात्र ऐसी जगह है जहां पर खुलेआम संरक्षण देकर नियमों को ताक पर रखकर  अपनी मनमर्जी करने का हौसला दिया जा रहा है ताकि आने वाले भविष्य में भी ऐसे ही आम जनमानस को परेशानी का सामना करना पड़े । 

स्वास्थ्य विभाग के मुखिया होने के चलते बीएमओ से सबसे बड़ा क्षेत्र की जनता का प्रश्न यह है कि जब निजी क्लीनिक का संचालन हो रहा है और डॉक्टर मरीज को देख रहे हैं तो वह दवाई लिखने में अपने नाम की पर्ची का प्रयोग क्यों नहीं कर रहे जब डॉक्टर गलत नहीं है तो वह अपनी जिम्मेदारी से भाग क्यों रहे हैं । टीम के पहुंचने पर जानकारी लगते ही कुछ डॉक्टर क्लीनिक छोड़कर क्यों भाग रहे हैं और उनके राइटिंग लिखी हुई पर्ची को अपनी पर्ची क्यों नहीं बता रहे हैं और बीएमओ क्लिनिक सील करने के नाम पर औपचारिकता क्यों निभा रहे हैं जब सब कुछ ठीक है तो ऐसे ही रहने दिया जाए और लोगों को अपनी जिम्मेदारी से कार्य करने के लिए छोड़ दिया जाए

आज स्थिति यह है कि मीडिया में खबर प्रकाशित होते ही सब हैरान है  कुछ डॉक्टर क्लीनिक को बंद कर अपनी सुविधा अनुसार यात्रा पर चले गए हैं तो कुछ यहां वहां भाग कर संरक्षण लेने तो कुछ डॉक्टर आपस में समूह बनाकर खतरा अभी टला नहीं का आपस में मैसेज करते हुए अपने आप को बचाने के लिए प्रयास मीडिया को दोषी बता रहे । 

छिंदवाड़ा जिले में 22 बच्चों की मौत से जब चौरई का कुछ लेना-देना ही नहीं तो यह सब ओपचारिक कार्यवाही की आवश्यकता क्यों पड़ रही है । जो आवाज उठा रहा है तो उससे बैर व्यमनस्यता का भाव क्यों रख रहे हैं ।

छिंदवाड़ा जिले के चौरई विधानसभा में सबसे अधिक जनप्रतिनिधि होने के बावजूद भी चल रहे घटनाक्रम पर यहां के जनप्रतिनिधि मौन क्यों है ? यह भी बड़ा विषय है ।