उज्जैन के जीवनखेड़ी गांव स्थित चौथ माता मंदिर सालभर बंद रहता है और केवल करवा चौथ पर खुलता है। इस दिन हजारों सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए पूजा करती हैं। मंदिर में माता के तीन रूपों के दर्शन होते हैं। इस बार चंद्र दर्शन 8:15 से 8:26 बजे होंगे।
करवा चौथ के मौके पर जहां देशभर की महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं, वहीं उज्जैन में एक ऐसा मंदिर है जो इस दिन और भी खास बन जाता है। उज्जैन में स्थित चौथ माता का मंदिर पूरे साल बंद रहता है और इसके कपाट सिर्फ एक दिन करवा चौथ पर ही खोले जाते हैं। इस दिन यहां हजारों सुहागन महिलाएं अपने पति की सलामती की कामना करने आती हैं। साथ ही बहन-बेटियां भी देवी के दर्शन कर अच्छे वर की कामना लिए आती हैं।
क्षिप्रा नदी किनारे, उन्हेल बायपास के पास जीवनखेड़ी गांव में स्थित चौथ माता का मंदिर एक अनोखी परंपरा का प्रतीक है, जो साल में केवल करवा चौथ के दिन ही खुलता है। इस दिन हजारों सुहागिन महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए पूजा-अर्चना करती हैं। मंदिर में माता के तीन रूपों के दर्शन होते हैं और विशेष प्रसाद वितरित किया जाता है, जिससे दांपत्य जीवन में सुख और समृद्धि आती है। मंदिर के व्यवस्थापक डॉ. कैलाश नागवंशी बताते हैं कि यह प्रदेश का इकलौता मंदिर है जो साल में केवल करवा चौथ के दिन ही खोला जाता है। इस दिन सिर्फ सुहागिन महिलाएं माता के दर्शन करती हैं और पूजा-अर्चना में भाग लेती हैं। माता की पूजा के बाद भक्तों को चुनरी, कामाख्या माता का कुमकुम और अभिमंत्रित रुद्राक्ष प्रसाद के रूप में दिए जाते हैं।
364 दिन विश्राम करती हैं माता
वर्ष 2000 में मां लक्ष्मीदेवी की स्मृति में इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। मंदिर में देवी पार्वती और उनकी बहुएं ऋद्धि-सिद्धि, भाई-बहन लाभ-शुभ और संतोषी माता भी विराजमान हैं। ग्रामीणों का मानना है कि माता पूरे 364 दिन विश्राम करती हैं, इसलिए मंदिर के कपाट बंद रहते हैं। सिर्फ करवा चौथ के दिन ही माता के दर्शन होते हैं। ऐसी ही मान्यता राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के बरवाड़ा कस्बे में स्थित सिद्धपीठ चौथ माता मंदिर से भी जुड़ी है।
माता के तीन स्वरूपों में होते हैं दर्शन
नागवंशी बताते हैं कि करवा चौथ के दिन माता भक्तों को तीन अलग-अलग रूपों में दर्शन देती हैं। सुबह बाल रूप, दोपहर में किशोरी रूप और शाम को एक विशेष रूप में। पिछले वर्ष लगभग 15 हजार श्रद्धालु यहां पहुंचे थे, जबकि इस बार 20 हजार से अधिक लोगों के आने की संभावना है। इस मौके पर मंदिर में कामाख्या का सिंदूर, नेपाल का रुद्राक्ष और विशेष सिक्के प्रसाद के रूप में तैयार किए जाते हैं। भक्तों का विश्वास है कि इन वस्तुओं को घर में रखने से धन, सौभाग्य और खुशहाली बढ़ती है।
इसलिए मनाया जाता है यह पर्व
करवा चौथ पर्व कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि यह पर्व देवी पार्वती ने भगवान शिव की दीघार्यु और सौभाग्य के लिए किया था। करवा एक मिट्टी का पात्र होता है। चौथ ‘चतुर्थी तिथि को कहा गया है। देवी के इस व्रत से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने देवी को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद दिया था। इस दिन खासकर भगवान शिव, देवी पार्वती, चंद्रमा और श्री गणेश का पूजन किया जाता है।
उज्जैन मे 8:15 से 8:26 मिनट पर होंगे चंद्र दर्शन
महाकाल की नगरी उज्जैन की बात करें तो यहा चंद्र देव के दर्शन सुहानी रात के साथ 8:15 मिनट के लगभग होंगे। इससे जो महिला अखंड सौभाग्य की कामना को लेकर यह व्रत रख रही हैं। उसके इस समय पूजा करना शुभ रहेगा। अन्नपूर्णा ज्योतिष केन्द्र के पं. सतीश नागर ने बताया कि इस बार करवा चौथ पर ग्रह नक्षत्रों के मेल से कई शुभ संयोग रहेंगे। चंद्रमा के दर्शन रात्रि 8:15 से 8:26 मिनट पर होंगे। इस बार करवा चौथ पर ग्रह नक्षत्रों का मेल कई शुभ संयोग बनाएगा। इस दिन शाम 7:38 बजे तक शुभ योग रहेगा। शुक्रवार का दिन होने से यह दिन विशेष होगा। शुक्र को सौंदर्य, सुख, समृद्धि का कारक माना गया है। साथ ही इस दिन सूर्य चित्रा नक्षत्र में और चंद्रदेव रोहिणी नक्षत्र में गोचर करेंगे। यह भी एक दुर्लभ संयोग है। वैवाहिक सुख और शांति के कारक चंद्रमा, और पति-पत्नी के समान के कारक सूर्य का शुभ प्रभाव करवा चौथ व्रत के महत्व को और बढ़ा रहा है। साथ ही करवाचौथ पर शोभन (शुभ) योग सौंदर्य, आकर्षण, प्रेम और सौभाग्य से जुड़ा है। रोहिणी नक्षत्र, वृषभ राशि में उच्च चंद्रमा और शुभ योग यह तीनों मिलकर सौभाग्य और चंद्र शक्ति को पूर्णता प्रदान करते हैं।