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पुलिस भर्ती के नाम पर युवा मुखबिर बन रहे; MP में नक्सलियों ने कहां लगाए ये पोस्टर?

बालाघाट : बालाघाट के परसवाड़ा क्षेत्र के वन ग्राम कुकड़ा में लंबे समय बाद नक्सलियों ने बैनर पोस्टर बांधकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। परसवाड़ा के स्थानीय ग्रामीणों की ओर से आज 18 सितंबर की सुबह यह सूचना मिली, जिसके बाद पूरा पुलिस महकमा अलर्ट मोड पर है।

मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में नक्सलियों ने पुलिस भर्ती के विरोध के नाम पर एक बैनर निकाला है। नक्सलियों ने बैनर में लिखा कि पुलिस भर्ती के नाम पर सरकार युवाओं को मुखबिर बनाकर बर्बाद कर रही है। इस तरह के बैनर पोस्टर लगने के बाद पुलिस प्रसासन अलर्ट मोड में है। बता दें कि नक्सलियों ने मगलवार को मुखबरी की आशंका के चलते एक युवक का अपहरण कर लिया था, जिसकी लाश गुरुवार जंगल मे पाई गई। इस घटना की जिम्मेदारी परसवाड़ा मलाजखंड दलम ने ली है और नक्सल एएसपी आदर्शकांत शुक्ला ने इसकी पुष्टि की है।

पोस्टर पर क्या खिला था?

बालाघाट के परसवाड़ा क्षेत्र के वन ग्राम कुकड़ा में लंबे समय बाद नक्सलियों ने बैनर पोस्टर बांधकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। परसवाड़ा के स्थानीय ग्रामीणों की ओर से आज 18 सितंबर की सुबह यह सूचना मिली, जिसके बाद पूरा पुलिस महकमा अलर्ट मोड पर है। नक्सलियों ने पुलिस भर्ती का विरोध करते हुए बैनर और पोस्टर परसवाड़ा के ग्राम चीनी से कुकड़ा मार्ग पर लगाया है। नक्सलियों की ओर से लाल बैनर में पुलिस भर्ती का सीधे विरोध करते हुए युवा पीढ़ी को मुखबिर बनाए जाने का विरोध किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार युवा पीढ़ी को रोजगार देने के नाम पर शोषण करके उन्हें माओवाद के विरुद्ध मुखबिर बना रही है। इस दौरान नक्सलियों ने चेतावनी देते हुए बताया कि जो भी पुलिस की मुखबिरी करेगा, उसकी जान की जिम्मेदारी सरकार और बालाघाट पुलिस की होगी। जिले के आईजी की आशंका दूर कर दें कि चौरिया निवासी देवेंद्र को एरिया कमेटी परसवाड़ा में अगवा कर लिया है। अब देवेंद्र हमारे खिलाफ नहीं जा सकेगा।

मंगलवार एक युवक का मुखबरी की आशंका में किया अपहरण

बालाघाट नक्सलियों ने मंगलवार रात लांजी क्षेत्र के चौरिया गांव के एक युवक देवेंद्र उर्फ धदू का अपहरण कर लिया था, पुलिस को सूचना मिलने के बाद आशंका जताई गई थी कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की मलाजखंड एरिया कमेटी ने उसे अगवा किया है। अपहरण की खबर के बाद बालाघाट पुलिस ने तलाशी अभियान चलाया था। इस दौरान चौरिया गांव में लाल स्याही से लिखे दो पर्चे छोड़े गए थे, इसमें लिखा था कि पुलिस की मुखबिरी करने पर देवेंद्र को मौत की सजा दी गई है। बुधवार को युवक शव नहीं मिला था, गुरुवार को चौरिया के जंगल में युवक का शव मिला है। बताया जा रहा है कि सुरक्षाबलों ने ही शव मिलने की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी है।

दो पत्र मिले थे, एक में मुखबिर बताकर मौत की सजा

नक्सलियों ने ग्रामीणों को पुलिस मुखबिर न बनने की चेतावनी दी है,इस दौरान गांव में दो पत्र मे लिखा कि ऐसे मुखबिरों को अपने-अपने गांव में सुधारा जाए। एक पत्र में देवेंद्र उर्फ धदू को पुलिस मुखबिर बताया गया है। पत्र में लिखा है की देवेंद्र ने माओवादी पार्टी दल की जानकारी 3-4 बार पुलिस को दी थी। वह डेरा ढूंढकर पुलिस को खबर देता था। पुलिस ने ही उसे जंगल में ‘दहान’ के नाम से बैठाया था। वह पितकोना पुलिस चौकी वालों को दही-दूध भी पहुंचाता था। इन सभी आरोपों की जांच के बाद उसे ‘मौत की सजा’ दी गई है।

दूसरे पत्र में पुलिस को सामंतवादी-साम्राज्यवादी ताकतों का रक्षक बताया। पुलिस को मिले दूसरे पत्र में पुलिस पर आरोप लगाया गया है ओर लिखा गया है की पुलिस गरीब लोगों को आपस में लड़वाकर मरवाने का काम करती है। पुलिस को सामंतवादी-साम्राज्यवादी ताकतों का रक्षक बताया गया है, जो गरीबों को लूटती है, विस्थापित करती है और विनाश करती है। इसलिए लोगों को पुलिस से दूर रहना चाहिए

बालाघाट आईजी संजय कुमार ने बताया की बालाघाट पुलिस जिले में ‘मिशन-2026’ के तहत नक्सलियों के खात्मे के लिए लगातार दबाव बनाए हुए है। पुलिस जंगल में नक्सलियों के साथ-साथ लोगों के मन में व्याप्त नक्सली विचारधारा को खत्म करने और उनके नेटवर्क को तोड़ने में जुटी है। मंगलवार नक्सलियों ने आदिवासी युवक का अपहरण कर लिया था,ओर लाल स्याही से लिखे दो पर्चे छोड़े थे, जिसमें लिखा है कि पुलिस की मुखबिरी करने पर युवक को मौत की सजा दी गई है।फिलहाल मामले की जांच की जा रही है।